हनुमान चालीसा : Hanuman Chalisa

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हनुमान चालीसा के बारे में लिखा है हनुमान चालीसा को पढ़ने से भूत प्रेत निकट नहीं आते है l हनुमान चालीसा के 100 बार पाठ करने से जीवन के हर कष्ट दूर हो जाते है l संकट के समय हनुमान चालीसा को पढ़ने से संकट टल जाता है l हनुमान चालीसा के ये भी चमत्कार है 5 मिनट निकलकर रोज पढ़े तो आर्थिक परेशानी दूर होती है एवं गरीबी मिटती है l हनुमान चालीसा के सक्ती के आगे बड़े बड़े तांत्रिक भी अपने घुटने टेक देता है l हनुमान चालीसा जो भी पढ़ता है उसका कोई अहित नहीं कर सकता l हनुमान चालीसा एक भजन गाना और चौपाई ही नहीं बल्कि हनुमान जी को समर्पित एक पूर्ण भाव से भाव बिहोर भक्ति समर्पण है l

दोहा:
श्रीगुरु चरण सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥

चौपाई:
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार॥

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥

रामदूत अतुलित बलधामा।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥

महावीर विक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥

कंचन बरन विराज सुवेशा।
कानन कुंडल कुंचित केशा॥

हाथ वज्र औ ध्वजा बिराजै।
काँधे मूँज जनेऊ साजै॥

शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जगबंदन॥

विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
विकट रूप धरि लंक जरावा॥

भीम रूप धरि असुर सँहारे।
रामचंद्र के काज संवारे॥

लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुवीर हरषि उर लाये॥

रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥

सहस बदन तुम्हारो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते।
कवि कोबिद कहि सकें कहाँ ते॥

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा॥

तुम्हरो मन्त्र बिभीषन माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना॥

युग सहस्त्र योजन पर भानु।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥

दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥

राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥

सब सुख लहै तुम्हारी शरणा।
तुम रच्छक काहू को डर ना।

आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कापै॥

भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महावीर जब नाम सुनावै॥

नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥

संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥

सब पर राम तपस्वी राजा।
तिनके काज सकल तुम साजा॥

और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै॥

चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥

साधु संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता॥

राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥

तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै॥

अंत काल रघुबर पुर जाई।
जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई॥

और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई॥

संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरैं हनुमत बलबीरा॥

जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥

जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महासुख होई॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥

तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा॥

दोहा:
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥

नित्य हनुमान चालीसा पढ़ने के फायदे :

  1. हनुमान चालीसा प्रतिदिन सुबह साम पढ़ने से बीमारी ठीक होता है l
  2. हनुमान चालीसा को पढ़कर घर में धुप दिखाय तो भूत प्रेत निगेटिव उर्जा घर में हो तो भाग जायेगा l
  3. हनुमान चालीसा रात में अकेले कही जाना हो तो जरूर पढ़े कोई भी संकट नहीं आयेगा l
  4. हनुमान चालीसा पढ़ने से मन को शांति मिलती है l 
  5. हनुमान चालीसा को पढ़ने से हनुमान जी हमेशा साथ रहता है l 
  6. हनुमान चालीसा को पढ़ने से शनि की साढ़ेसाती दशा दूर होती है l 
  7. नित्य पढ़ने से अष्ट सिद्धि एवं नौ प्रकार के निधियो की प्राप्ति होता है l 

             ll जय श्री राम ll