हनुमान शाबर मंत्र के बारे में कहा जाता है की भगवान भोलेनाथ ने कलयुग में सभी मंत्रो को किलित कर रखा है ताकि लोग इसका दुरुपयोग न करे लेकिन शाबर मंत्र कलयुग में स्वयं सिद्ध और किलीत नही है । जिससे शाबर मंत्र को जपकर काम समय में अत्यधिक लाभ पाया जा सकता है।
आपलोगो को समाज कल्याण के लिए हनुमान जी के सिद्ध साबर मंत्र दे रहा हु, जो आपके हर परस्थिति में काम आयेगा और आपको सुरक्षा मान सम्मान दिलाएगी, लक्ष्मी की बढ़ोतरी कराएगा।
नोट :
हनुमान जी ब्रम्हचारी है इसलिए इसके मंत्र को जानने से पहले अपने शरीर को शुद्ध करले अर्थात पवित्र होकर ही जाप करे ?
ऐं ह्रीं श्रीं ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ऊँ नमो भगवते महाबल पराक्रमाय भूत प्रेत पिशाच शाकिनी डाकिनी यक्षणी पूतना मारी महामारी यक्ष राक्षस भैरव बेताल ग्रह राक्षसादिकम् क्षणेन हन हन भंजय भंजय मारय मारय शिक्षय शिक्षय महामारेश्वर रुद्रावतार हुं फट् स्वाहा।।
इस मंत्र के जाप से सभी प्रकार के बिपत्ती परेशानी भूत बाधा प्रेत बाधा कष्ट रोग सब टल जाता है।।
सर्व कार्य सिद्धि हनुमान जंजीरा मंत्र :
ॐ हनुमान पहलवान पहलवान।
बरस बारह का जबान।।
हाथ में लड्डू मुख में पान।
खेल खेल गढ़ लंका के चौगान।।
अंजनी का पूत, राम का दूत।
छिन में कीलौ नौ खंड का भूत।।
जाग जाग हड़मान हुँकाला।
ताती लोहा लंकाला।।
शीश जटा डग डेरू उमर गाजे।
वज्र की कोठड़ी ब्रज का ताला।।
आगे अर्जुन पीछे भीम।
चोर नार चंपे ने सींण।।
अजरा झरे भरया भरे।
ई घट पिंड की रक्षा।
राजा रामचंद्र जी लक्ष्मण कुँवर हड़मान करें।।
ये मंत्र मेरे स्वयं के अनुभव है ये मंत्र मुझे एक संन्यासी से प्राप्त हुआ था, ये मंत्र केवल समाज कल्याण की भावना से इस पोस्ट पर लिखा हूं।
आप जो है तंत्र क्रियाओं से बचने के लिए सुबह साम 5 बार इस मंत्र का जाप करे तो हमारे आगे पीछे अगल बगल सुरक्षा कवच बन जाता है जिससे हम सभी विपदाओ और संकटों से सुरक्षित रहते है, भूत प्रेत इस मंत्र को पड़कर फूक मारे तो छोड़े देता है ऐसा मेरा खुद का अनुभव तथा संन्यासी महराज जी कथन है (ये मंत्र केवल भक्ति भाव बढ़ने और लोगो को दुष्ट सक्तियों से बचने की कामना से दे रहा हूं) मित्रो इस मंत्र को स्क्रीनशॉट करके रख ले। इसे सिद्ध करने की ज़रूरत नही ये स्वयं सिद्ध है ।
धन प्राप्ति लक्ष्मी मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौं ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौं ऐं क्लीं ह्रीं श्री ॐ। ॐ ह्री श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम गृहे धनं पूरय पूरय चिंतायै दूरय दूरय स्वाहा